यहाँ कहने से पहले हज़ार बार सोचना पड़ता है। यहाँ कहने से पहले हज़ार बार सोचना पड़ता है।
लॉक डाउन का पहला दिन यह मत पूछो कैसे गुजरा ? लॉक डाउन का पहला दिन यह मत पूछो कैसे गुजरा ?
उन्हें बता दूँ कि पुतले जलाने से क्या होगा, हर तरफ राख और धुंआ होगा झांककर देख गिरेबान उन्हें बता दूँ कि पुतले जलाने से क्या होगा, हर तरफ राख और धुंआ होगा झांककर दे...
उल्फत है हमें कहने देना। उल्फत है हमें कहने देना।
मेरे लिए तू ही सबकुछ है मेरे लिए तू ही है मेरी जान है, मेरे लिए तू ही सबकुछ है मेरे लिए तू ही है मेरी जान है,
यादें कुछ कहती हैं यादें कुछ बताती हैं यादें कुछ सुनती हैं यादें कुछ कहती हैं यादें कुछ बताती हैं यादें कुछ सुनती हैं